Budget 2022: टैक्स में राहत के बजाय इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर होगा जोर

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3 दिन बाद आने वाले इस बजट में कोरोना महामारी से प्रभावित आम आदमी के लिए किसी तरह की कोई भी राहत की उम्मीद नहीं नज़र आती बल्की देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर दिया जा रहा है।

आने वाले 1 फरवरी 2022 को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण बजट (Budget 2022) संसद में पेश करने वाली हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बजट में सरकार का जोर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (Infrastructure Development) पर ज़्यदा होगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस बजट में कोरोना महामारी से प्रभावित आम आदमी के लिए किसी तरह की कोई भी राहत की उम्मीद नहीं नज़र आती। भारत जो कि पूरे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है, के मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) में 9.2 फीसदी की दर से विकास करने के क़यास लगाए जा रहे है। इसके साथ अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जीडीपी में लगभग 55 फीसदी हिस्सेदारी सिर्फ़ और सिर्फ़ प्राइवेट कंपनियों का है। लेकिन दिक्कत यह है कि अभी भी प्राइवेट कंपनी कोरोना महामारी के से जुझ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इन पर हाउसहोल्ड पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। और इसके साथ साथ देश में महंगाई भी लगातार बढ़ती जा रही है जिसके कारण आम लोगो की खर्च करने की क्षमता घट चुकी है। 

ग़ौर करने वाली बात है कि यह बजट 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पेश किया जाना है। इसमें उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य शामिल हैं जो केंद्र के लिए बहुत ही ज़्यदा महत्वपूण चुनाव साबित होने वाले है। इसके साथ उत्तराखंड, पंजाब जैसे राज्यों में भी चुनाव होने जा रहे है। ऐसे में इस बात की ज्यादा संभावना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रामीण भारत पर ज़्यादा ध्यान रखेंगी। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी पर ज्यादा से ज़्यादा खर्च किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रांसपोर्ट और हेल्थकेयर के बजट में 12-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी भी हो सकती है। 

फॉरेन इन्वेस्टमेंट बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट बढ़ाने पर ख़ास जोर दिया जायेगा। वही इंडिविजुअल और कॉर्पोरेट कंपनीयो  के लिए टैक्स में किसी भी तरह के कोई भी बदलाव न होने की संभावना है। दिक्कत की बात है कि इस वक़्त सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में लगातार गिरावट नापी जा रही है। ऐसे में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने के लिए सरकार PLI स्कीम का विस्तार भी कर सकती है। जिस से की देश में रोजगार पैदा करने में काफ़ी मदद मिल सकती है।

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