आख़िर देश में धरना विरोध-प्रदर्शन उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र ही क्यों करते है ?

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इन दिनों देश में रेलवे में भर्ती को लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में कई जगहों पर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे है।

 ग़ौर करने वाली बात है कि देश में पहली बार छात्र रोजगार के लिए इतने बड़े स्तर पर धरना विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूरे देश से जब छात्र रेलवे जैसी सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई करते है तो फिर धरना विरोध प्रदर्शन सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र ही क्यों करते है ? तो हम बताते है आपको की सिर्फ युपि बिहार छात्र ही क्यों धरना विरोध प्रदर्शन करते है। इसका सीधा सा ज़वाब है कि इन दोनों राज्यों की देश के कुल बेरोजगारों में एक-चौथाई हिस्सेदारी है।

आवधिक श्रम बल सर्वे (पीएलएफएस) 2018-19 के आकड़ो के अनुसार, पूरे देश में 15 से 29 वर्ष के युवाओं में बिहार और उत्तर प्रदेश की 25.5 फीसदी हिस्सेदारी है। जबकि देश की कुल आबादी में इन दोनों राज्यों का योगदान इसी के करीब लगभग 24.5 फीसदी हिस्सेदारी है। अपने बड़े आकार के अनुरूप देश में सभी आयु वर्ग के कुल बेरोजगारों में उत्तर प्रदेश और बिहार की लगभग 23.5 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं, 15 से 29 वर्ष के आयुवर्ग में बेरोजगारी में इन दोनों राज्यों की भागीदारी लगभग 22.9 फीसदी है।

क्या शिक्षा की कमी की वजह से बढ़ रही बेरोजगारी ? 
इन दोनों राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में बेरोजगारी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सामान्य शिक्षा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शिक्षा पर आधारित एक सर्वे के अनुसार, स्नातक या इससे ऊंची पढ़ाई के लिए 96 फीसदी बिहार के छात्रों ने कला, विज्ञान और वाणिज्य के सामान्य कोर्सों के लिए अपना पंजीकरण कराया था। ग़ौर करने वाली बात है कि इसमें भी सबसे ज्यादा 70 फीसदी छात्रों ने कला वर्ग में अपना पंजीकरण कराया था।

वहीं, उत्तर प्रदेश में भी सामान्य कोर्स में पंजीकरण कराने वालों की संख्या करीब 85 फीसदी थी। हालांकि, आसाम और झारखंड में भी सामान्य कोर्स में पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या 90 फीसदी से ज्यादा थी। जबकि तेलंगाना में सबसे कम 1.6 फीसदी छात्रों ने कला वर्ग में अपना पंजीकरण कराया था। ग़ौर करने वाली बात है कि तकनीकी कोर्स में सबसे ज्यादा केरल के 43.1 फीसदी छात्रों ने अपना पंजीकरण कराया था।

देश में 15 से 24 आयुवर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजारी
विश्व बैंक के 2019 के डाटा के मुताबिक़, हमारे देश में युवाओं (15-24 आयुवर्ग) में श्रम बल भागीदारी दर (एलपीएफआर) हमारे पड़ोसी देशों में सबसे कम और बेरोजारी दर सबसे ज्यादा अधिक है। आकड़ो के अनुसार, (15-24 आयुवर्ग) में देश में एलपीएफआर 27.06 फीसदी और बेरोजगारी दर 23.01 फीसदी देखी गयी। जबकि हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में यह आंकड़ा 41.97 फीसदी और 12.13 फीसदी देखी गयी। जबकि चीन जैसे विकसित देश में युवाओं की श्रम बल भागीदारी दर 45.55 फीसदी और बेरोजगारी दर 11.01 फीसदी देखी गयी। इसी तरह अगर हम अमेरिका में श्रम बल भागीदारी दर देखे तो यह 52.37 फीसदी और बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी है। वहीं कम विकसित देश ब्राजील में श्रम बल भागीदारी दर 56.57 फीसदी और बेरोजगारी दर 27.47 फीसदी है।

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